जो बुरे से था बुरा उसको भी अच्छा लिक्खा
हर हक़ीक़त को छुपाते हुए क़िस्सा लिक्खा़
हर हक़ीक़त को छुपाते हुए क़िस्सा लिक्खा़
ख़ासियत थी नहीं जिसमें कोई उसको तुमने
सिर्फ़ अनोखा ही नहीं बल्कि निराला लिक्खा
सिर्फ़ अनोखा ही नहीं बल्कि निराला लिक्खा
आपसे सीखे कोई बात बढ़ाकर कहना जगमगाते हुए जुगनू को सितारा लिक्खा
लब से जो झूठ निकलता है हलाहल की तरह
उसको भी अापने अमृत का पियाला लिक्खा
उसको भी अापने अमृत का पियाला लिक्खा
जल्वाअफ़रोज़ लगा जब भी तेरा हुस्नओ जमाल
हमने पुरनूर तेरा ख़ूब क़सीदा लिक्खा
हमने पुरनूर तेरा ख़ूब क़सीदा लिक्खा
Very nice line
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